केदार सिंह गोलिया (7999366077)
शिवपुरी। जिले की पांचों विधानसभाओं में सबसे बड़ी विधानसभा के रूप में अपना स्थान रखने वाली करैरा विधानसभा में इन दिनों राजनीतिक गलियारों में सिर्फ और सिर्फ नेताओं की ही धमक सुनाई दे रही है। करैरा विधानसभा की खासबात यह है इस विधानसभा में लगभग 70 हजार मतदाता अनुसूचित जाति वर्ग के हैं, जिनमें से सर्वाधिक 45 हजार मतदाता जाटव समुदाय के हैं और ऐसे में करैरा विधानसभा सीट 2008 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है इसलिए यह तो निश्चित ही है कि टिकिट किसी अनुसूचित जाति वर्ग के ही व्यक्ति को मिलेगा। अनुसूचित जाति वर्ग में सबसे ज्यादा वोट बैंक जाटव मतदाताओं का माना जाता है और यदि कांग्रेस इस बार किसी जाटव उम्मीदवार पर दांव खेलती है तो यह उसके लिए एक प्लस पॉइंट हो सकता है। कांग्रेस में जाटव समुदाय से किसी जाटव उम्मीदवार को टिकिट देने की लगातार मांग बढ़ रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस ओर भी ध्यान दे रही है।
अब बात करते हैं कांग्रेस की चौकड़ी की जो टिकिट के लिए पूरा दम खम लगा रही है और राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इनमें से किसी एक टिकिट मिलने के ही अधिक चांस हैं।
शकुंतला खटीक-अपने दम पर राजनीति में बनाई मजबूत पकड़, पर विरोधी भी बढ़े
हम बात करें करैरा से मजबूत प्रत्याशियों की तो कांग्रेस से पहला नाम वर्तमान विधायक शकुंतला खटीक का आता है। श्रीमती खटीक एक ऐसी महिला नेता हैं जिन्होंने अपने दम पर राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई है। वहीं उनके नकारात्मक पक्ष की बात करें तो उनका विधायक का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है। उन पर कई तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगते हैं, यहां तक कि उनके बनाए गए प्रतिनिधियों ने उनका मुखर होर विरोध किया है। पार्टी में भी उनका खासा विरोध है, वहीं श्रीमती खटीक के कार्यकाल से क्षेत्र की जनता भी असंतुष्ट है। अब यदि कांग्रेस आलाकमान श्रीमती खटीक के विवादित कार्यकाल को ध्यान में रखती है तो अन्य दावेदार जो कतार में खड़े हैं तो उनकी भी बारी आ सकती है। जिनमें पहला नाम आता है रिटायर्ड डिप्टी कलेक्टर डॉ. के.एल. राय, जसमंत जाटव मानसिंह फौजी…. आदि का।
अपने प्रशासनिक अनुभव और कुशल व्यक्तित्व के दम पर लोगों पर अमित छाप छोड़ी है: डॉ. राय ने
डिप्टी कलेक्टर के रूप में सेवानिवृत्त डॉ. केएल राय ने प्रशासनिक जिम्मेदारी से निवृत्त होने के बाद उन्होंने कांग्रेस से अपने जीवन की दूसरी बारी की शुरूआत की और करीब 15 वर्षों से वह लगातार कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हैं और वह सिंधियानिष्ठ माने जाते हैं। डॉ. राय ने अपने प्रशासनिक सेवा के अनुभवों को जनता की सेवा में झोंकते हुए लगातार क्षेत्र में सक्रियता को बढ़ाया। इसी का नतीजा है कि आज डॉ. राय के मिलनसार, सहज, सरल एवं मददगार व्यक्तित्व का करैरा विधानसभा के लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। उनसे प्रभावित होकर लोगों की जुबान पर उनका नाम भी आने लगा है कि करैरा के विकास के लिए हमें ऐसे विधायक ही जरूरत है। यहां बता दें कि इससे पूर्व भी 2013 में डॉ. राय ने टिकिट की दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकिट नहीं दिया। खासबात यह है कि इसके बाद डॉ. राय के चेहरे पर निराशा नहीं दिखी, बल्कि दुगुनी ताकत से वह क्षेत्र में काम करने में जुट गए और जिसका सुखद परिणाम आज उनके सामने आ रहा है।
जसमंत जाटव की है संगठन में पकड़
पिछले करीब 25 वर्षों से कांग्रेस में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने वाले जसमंत जाटव की करैरा विधानसभा में एक मजबूत पकड़ मानी जा रही है। खासबात यह है कि करैरा विधानसभा में जाटव समाज के करीब 45 हजार मतदाता माने जाते हैं जिनमें अच्छी खासी पकड़ होना उनके लिए एक सकारात्मक पक्ष है जो उनकी दावेदारी को प्रबल करता है। यहां बता दें कि बसपा ने भी अपने उम्मीदवार के रूप में जाटव प्रत्याशी प्रागीलाल का नाम घोषित किया है तो ऐसे में बसपा वोट बैंक में सेंध लगाने में जसमंत जाटव अपनी मजबूत पकड़ से सक्षम हैं। कहावत है कि लोहा ही लोहा को काटता है ऐसे यह कहावत यहां सही चरितार्थ होती है। खासबात यह है कि जसमंत समाजसेवा के क्षेत्र में भी अग्रणी है वह निर्धन परिवारों के लिए सामूहिक विवाह सम्मेलन कराते हैं, वहीं नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर में आयोजित करते हैं। 2012 से उन्होंने नशा मुक्ति अभियान का शुभारंभ किया था जो अभी तक अनवरत रूप से जारी है। सामाजिक गतिविधियों से क्षेत्र में श्री जाटव की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है।
पहले देश सेवा अब जनसेवा में जुटे फौजी भी हैं प्रबल दावेदारों की कतार में
मानसिंह फौजी वर्तमान में कांग्रेस के एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकिट के दावेदारों की कतार में प्रमुखता से खड़े हुए हैं। फौज में रहकर 17 वर्षों तक देश की सेवा करने वाले मानसिंह फौजी अब जनसेवा में जुटे हुए हैं। फौजी की खासबात यह है कि वह जनसेवा में न केवल आज से सक्रिय हैं, बल्कि जब वह फौज में थे तब भी उन्हें जनसेवा का मौका मिलता तो वह उससे पीछे नहीं हटते थे और जनता की आवाद बुलंद कर उनकी समस्या के निराकरण में भरपूर सहयोग करते थे। फौजी चाहे वह समाज में व्याप्त कुरीति के प्रति लोगों को जागरुक करने की बात हो या फिर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने की या फिर धार्मिक कार्य, वह हमेशा तत्पर रहते हैं।
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