जेलर की हत्या के बाद जमशेदपुर से कंपनी चलाने लगा था डॉन अभिषेक
माफिया डॉन अखिलेश सिंह अब तक जमशेदपुर पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. इस बीच ससुराल बनारस में ससुराल जनों पर दबिश बनाकर जमशेदपुर पुलिस लौट आई है. वहीं सूत्रों के अनुसार अखिलेश सिंह ने फिलहाल यूपी छोड़ दिया है और सरेंडर करने की तैयारी में है.हालांकि जमशेदपुर पुलिस किसी भी हालत में उसे गिरफ्तार करने की फिराक में है. उधर जानकारी मिली है कि 12 फरवरी 2002 में साकची जेल परिसर में हुए जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या मामले में सजायाफ्ता अखिलेश सिंह के खिलाफ बॉडी वारंट जारी हुआ है. अखिलेश सिंह को इस मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी. जिसमें बाद में वो ज़मानत पर रिहा हुआ था.
सहयोगियों से पूछताछ
जमशेदपुर में अखिलेश सिंह के कई सहयोगियों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर ही है. 30 नवंबर को कोर्ट परिसर में उपेन्द्र सिंह पर हमला करनेवाले सोनू उर्फ विक्की से पुलिस रिमांड पर पूछताछ कर रही है वहीं दूसरे हमलावर विनोद सिंह उर्फ मोगली को भी जल्द रिमांड पर लेगी. उधर अखिलेश सिंह के सहयोगी बागबेड़ा के कन्हैया सिंह पर भी पुलिस ने दबिश बनाई है जिसके जल्द सरेंडर करने या गिरफ्तार हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
जेलर की हत्या कर जेल से फरार
व्यवसाई काबरा अपहरण के मामले में साकची जेल में बंद अखिलेश सिंह ने तब अपराध की दुनिया में बस कदम ही रखा था. इसी बीच ये बात शहर में फैली कि जेल में अखिलेश सिंह के साथ हुए बुरे व्यवहार से वो तिलमिला गया और उसने जेल परिसर में ही 12 फरवरी 2002 को जेलर उमाशंकर पांडेय की हत्या कर दी और भाग निकला.
मंथली सैलरी पर क्रिमनल
हत्याओं का दौर जारी रहा. यहां तक कि अखिलेश सिंह के मामले को देख रहे जज आरपी रवि पर भी अखिलेश सिंह ने फाईरिंग कर दी. इस तरह माफिया डॉन का वर्चस्व और आतंक बढ़ने लगा जो धीरे धीरे विभिन्न कंपनियों के ठेक और स्क्रैप व्यवसाय से रंगदारी के माध्यम से फलने फूलने लगा. अपराध की दुनिया में दाउद की डी कंपनी की तर्ज़ पर जमशेदपुर में ए कंपनी का सिक्का चलने लगा जहां मंथली सैलरी पर अपराधियों की भर्ती होने लगी.
परिवार के नाम पर पेरोल
अखिलेश सिंह झारखंड पुलिस एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री चंद्रगुप्त सिंह का बेटा है. परिवार अक्सर ये आरोप लगाता है कि पुलिस अखिलेश सिंह को सुधरने का मौका नहीं देती है और अखिलेश से कोई संपर्क नहीं रखने के बावजूद परिवार को तंग करती है, लेकिन कई बार सवाल ये भी उठते हैं कि अगर परिवार के साथ संबंध नहीं है तो अखिलेश को परिजनों की बीमारी के नाम पर पेरोल कैसे मिल जाया करता है?
सरकारी वकील पर उठ रहे सवाल
अखिलेश सिंह के पकड़ाने और हाई कोर्ट से जमानत मिलने का सिलसिला जारी है. पहले भी वो कई बार पकड़ा जा चुका है. ज्यादातर मामलों में उसे ज़मानत मिली है वहीं हत्या, रंगदारी, आर्म्स एक्ट के कई मामलों में वो फरार है. पिछले दिनों हाई कोर्ट से ज़मानत पर रिहा होने के बाद पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने उस पर सीसीए लगाया था जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में जाने पर अखिलेश सिंह को विजय हासिल हुई और वो एक बार फिर छूट गया. इतनी हत्याओं के आरोपी को जिस तरह ज़मानत मिलती है उससे ये सवाल दबी जुबान से लोग उठाते हैं कि हाई कोर्ट में सरकारी वकील किस प्रकार पक्ष रखते हैं? हालांकि कोई खुलकर कुछ नहीं कहता.
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