मेरा व्रत है, मैं ये नहीं खाऊंगा और मैं ये नहीं करूंगा। लेकिन क्या कभी
आपने सोचा है कि आखिर ये व्रत है क्या और क्यों कोई इंसान इसे रखता है।
ज्यादातर लोग इसे एक धार्मिक कार्य मानकर अपनाते हैं और देवी देवताओं को
प्रसन्न करने के लिए इस किया जाता है। लेकिन व्रत का महत्व यहीं तक नहीं
है क्योंकि धार्मिक और चिकित्सा पद्धति में इसके कई लाभ बताए गए हैं।
धार्मिक उद्देश्य
सबसे
पहले तो आप यह जानिए कि जब संकल्पपूर्वक किसी कार्य को किया जाता है तो
उसे व्रत कहते हैं। मतलब जब आप किसी चेतना और इच्छा की पूर्ति के ईश्वर
से कुछ चाहते है तो व्रत रूपी तपस्या को इसका एक माध्यम माना गया है।
व्यक्ति अपनी अलग-अलग इच्छाओं और फल की प्राप्ती के लिए व्रत रखता है।
प्रत्येक व्रत के कुछ नियम होते हैं और माना जाता है कि अगर इन नियमों का
पालन किया जाए तो ईश्वर आपकी इच्छा जल्दी पूरी कर देते हैं, वहीं ऐसा भी
कहा जाता है कि इन नियमों को न मानने पर इसके दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।
चिकित्सकीय लाभ
व्रत
रखने से धार्मिक के साथ ही साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है। इस
संबंध में वैज्ञानिकों का मनना है कि व्यक्ति के शरीर में धीरे-धीरे कई
प्रकार के जहरीले पदार्थ इकट्ठे होते रहते हैं जिनका व्रत के माध्यम से आप
बाहर निकाल सकते हैं। इससे आप कई प्रकार के रोगों से बच सकते हैं और अंत
में व्यक्ति को एक निरोगी शरीर प्राप्त होता है
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