गांव-गांव जाकर जगाया जा रहा स्वच्छता का अलख, लेकिन खुद सुधरने को नहीं है तैयार
हरीश भार्गव/शीलकुमार यादव
बदरवास।
भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे स्वच्छता अभियान को दूसरों को आईना दिखाने
वाली जनपद पंचायत बदरवास द्वारा पलीता लगाया जा रहा है। जनपद पंचायत
द्वारा गांव-गांव में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक किया जा रहा है,
लेकिन स्वयं जनपद पंचायत के कार्यालय एवं आसपास गंदगी का अम्बार लगा हुआ
है। यहां पर सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है, यहां हर रोज हजारों की तादाद
में लोग अपना काम करवाने आते हैं, लेकिन जपं के कार्यालय की हालत देखकर वह
हैरान हो जाते हैं। जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर स्वच्छ भारत अभियान के मुंह
चिढ़ाते नजर आते हैं। यहां कार्यालय के आसपास गंदा पानी भरा रहता है जो कि
भयंकर बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है। गंदे पानी के कारण डेंगू और
मलेरिया जैसी बीमारियां फैलने का खतरा हमेशा बना रहता है। उल्लेखनीय है कि
जब जिम्मेदारों द्वारा ही स्वच्छता अभियान को पलीता लगाया जा रहा है तो
इनके द्वारा कैसे अन्य लोगों का स्वच्छता के प्रति जागरुक किया जाता होगा
इसका अंदाजा जनपद कार्यालय में फैली गंदगी से लगाया जा सकता है। खासबात यह
है स्वच्छता अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी जनपद पंचायत के अधिकारी और
कर्मचारियों की है और इन्हीं के द्वारा ग्राम पंचायतों में मॉनीटरिंग की
जाती है।
दीवारों को मनाया मूत्रालय
जनपद
में सार्वजनिक मूत्रालय का अभाव है इसलिए यहां आने वाले लोगों द्वारा
भवनों की दीवारों को ही सार्वजनिक रूप से मूत्रालय बना दिया गया है। यहां
आसपास से नालियां भी निकली हैं जिसमें गंदा पानी जमा हो रहा है।
बिना कमीशन के नहीं मिलता हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ
सूत्रों
की मानें तो शासन के द्वारा जितनी भी जन कल्याणकारी योजना संचालित की जा
रही हैं उनका लाभ ग्रामीणों को बिना कमीशन के नहीं मिल पता है फिर चाहे वह
कुटीर निर्माण कार्य हो या शौचालय व अन्य। बताया तो यहां तक जाता है कि इन
योजनाओं का पैसा ग्रामीणों को तभी मिल पाता है जब वह इस 25 प्रतिशत कमीशन
जनपद पंचायत के कर्ताधर्ता एवं 25 प्रतिशत कमीशन ग्राम पंचातय के सरपंच एवं
सचिव देते हैं। जब योजना की लागत का आधा बजट कमीशन में ही बंट जाएगा तो
इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इसका निर्माण कैसा होगा?
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