अजेयराज सक्सेना प्रधान संपादक, शिवपुरी। शिवपुरी की राजनीति से आप लोग भली-भांति परिचित हैं शिवपुरी की राजनीति कहीं न कहीं महल के इर्द-गिर्द घूमती है। जब से शिवपुरी ने अपना होश संभाला है तब से इस महल से शिवपुरी का नाता रहा है। महल के प्रभाव और उनके गणित को आज तक बड़े-बड़े राजनीति के पंडित भी नहीं समझ पाए। इस बार तो शिवपुरी में कमल वाला पक्ष सीट को हाथ वाले पक्ष को देते दिख रहा है, वही कमल वाला पक्ष भी उत्तर की ओर जाता दिखाई दे रहा है और उत्तर के महल से एक रानी शिवपुरी हाथ से आ सकती है…।
ये तो था चुनावी चौपाल का एक गणित और इस गणित का प्रभाव बहुत हो सकता है।
पहले पंजे वालों की किस्मत ….
नगर सेठ के अरमानों पर पानी…। अभी अभी नई नई राजनीति में आये और आकर बहुत नाम कमाया फिर रैलियां भी बहुत कराई महल वाले राजा साहब को खुश भी किया। महल वाले आका खुश भी हुए। कुछ भी हो सकता है भाऊ …..
दूसरे पर भी अगर बात की जाए एक सेठ जी आते है जो सालों से इस समय का इंतज़ार कर रहे है कि शायद एक दिन तो कभी बारिश होगी। ये भी होटल, पंप जमीन के कारोबार में है अभी आजकल तो बच्चों को लाने ले जाने में लगे हैं। नया नया कारोबार है पिछली बार इनके कारण ही मुन्नाभाई को टिकट मिला और किस्मत चेत भी गई।
और अगर कही एक नया पहलू आता है कि उत्तर की ओर नेता जी नहीं जाती तो समीकरण बदल सकते है फिर शायद हाथ वालों को फिर एक पूर्व नगर के प्रथम नागरिक की याद आ जाये जिसने एक शानदार कार्यकाल दिया था जो आजतक याद किया जाता है और निर्दलीय चुनाव जीता था।
कमल के रथ के सिपाही …
अगर कही महल की रानी शिवपुरी की धरा से चुनाव लड़ती है फिर शिवपुरी में कमल के रथ पर तो सिर्फ अपनी जमानत जप्त कराने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक नाम छमाही विधायक ही दावेदार होंगे।
देखिये एक सीट से कमल के रथ पर दो बार जीत लिए फिर उस सीट को अब निकालने में सारी दालों के पापड़ बिल जायेगे फिर भी मुश्किल है भाई। इसलिए खुद किताब वाले नेताजी क्षेत्र बदलने की सोच रहे है और इस बार उनकी नजऱ उनको चलना सिखाने वाली नेता जी की सीट पर है। वो इस सीट से चुनाव निकालने की सोच रहे है और रोज़ क्षेत्र बदलने की प्रार्थना और अगरबत्ती लगाई जा रही है।
अब दोस्तों आती है बात चुनाव की तो आप सभी अपना अमूल्य वोट जरूर दे।
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