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BJP की नई गाइडलाइन- 5 हजार से अधिक मतों से हारने वालों को नहीं मिलेगा टिकिट, कई दावेदर होंगे बाहर

नई गाईडलाइन बाद जिले की पांचों विधानसभा सीटों में स्पष्ट होने लगी स्थिति 

शिवपुरी। 2013 के विधानसभा चुनाव में 5 हजार से अधिक मतों से हारने वाले भाजपा प्रत्याशियों को 2018 में उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। भाजपा की इस नई गाईडलाइन से शिवपुरी जिले के पांच विधानसभा सीटों में कई टिकट के दावेदार दौड़ से बाहर हो जाएंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में कोलारस से 25 हजार से अधिक मतों से पराजित और इसके बाद उप चुनाव में 8 हजार मतों से पराजित पूर्व विधायक देवेंद्र जैन ने इसे भांपकर उम्मीदवारी की दौड़ से अपने आप को दूर कर लिया है। इस नई गाईडलाइन से शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों में भाजपा उम्मीदवारों की दृष्टि से परिदृश्य साफ होने लगा है। 
शिवपुरी जिले की पांच विधानसभा सीटों शिवपुरी, कोलारस, करैरा, पोहरी और पिछोर में पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शिवपुरी और पोहरी सीटों पर विजयश्री प्राप्त की थी। जबकि शेष विधानसभा क्षेत्रों कोलारस, करैरा और पिछोर में उसे हार का सामना करना पड़ा था। शिवपुरी से भाजपा उम्मीदवार और केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे ङ्क्षसंधिया ने 11 हजार से अधिक मतों से विजय प्राप्त की थी। जबकि पोहरी से भाजपा उम्मीदवार प्रहलाद भारती तीन साढ़े तीन हजार मतों से चुनाव में विजयी हुए थे। शिवपुरी से कांग्रेस टिकट पर पराजित वीरेंद्र रघुवंशी इस समय भाजपा में हैं और कोलारस से टिकट की मांग कर रहे हैं। जबकि पोहरी में विजयी विधायक प्रहलाद भारती को कांग्रेस उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला ने तगडी चुनौती दी थी। भाजपा सूत्र बताते हैं कि पांच विधानसभा सीटों में से शिवपुरी का टिकट यशोधरा राजे को मिलना तय माना जा रहा है। पार्टी ने उन्हें संकेत भी दे दिए हैं कि अगला विधानसभा चुनाव उन्हें शिवपुरी से लडऩा है। यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी से तीन बार विधायक रही हैं। पहली बार वह 1998 में कांग्रेस उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला को लगभग साढ़े 6 हजार मतों से हराकर विजयी हुई थीं और 2003 में उनकी जीत का अंतर बढ़कर 25 हजार मतों पर पहुंच गया था। इसके बाद वह 2013 के विधानसभा चुनाव में भी विजयी रहीं थी। शिवपुरी यशोधरा राजे सिंधिया की कर्मस्थली है और यहां उनका अच्छा प्रभाव माना जाता है। लेकिन यशोधरा राजे ने अभी शिवपुरी से लडऩे का मन पूरी तरह नहीं बनाया है। उन्होंने बयान दिया है कि वह शिवपुरी से लड़ेंगी अथवा नहीं यह निश्चित नहीं हैं। उनकी चुनाव न लडऩे के प्रति असमंजस्यता को लेकर तरह-तरह की बाते सामने आ रही हैं। लेकिन सच्चाई क्या है यह वह जाने। परंतु इतना तय है कि पार्टी का उनपर चुनाव लडऩे के लिए दबाव है। परंतु यदि वह चुनाव नहीं लडी तो भाजपा के लिए उम्मीदवार चयन काफी मुश्किल है। हालांकि राजनैतिक हल्कों में यह भी चर्चा है कि उनके चुनाव न लडऩे की स्थिति में भाजपा द्वारा कांग्रेस से भाजपा में आए वीरेंद्र रघुवंशी को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यह ठीक वैसा ही फैसला होगा जैसा ग्वालियर लोकसभा उपचुनाव लडऩे के लिए यशोधरा राजे द्वारा 2007 में इस्तीफा देने पर भाजपा ने कांग्रेस से आयातित कर उनकी इच्छा के विपरीत पूर्व विधायक गणेश गौतम को उम्मीदवार बनाया था। भाजपा में रहते हुए भी यशोधरा राजे और वीरेंद्र रघुवंशी के बीच रिश्तों में बहुत कड़वाहट है। पोहरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो चुनावों से विधायक प्रहलाद भारती चुनाव जीत रहे हैं। श्री भारती के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और यशोधरा राजे सिंधिया से बहुत अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन उनके स्थानीय सांसद नरेंद्र सिंह तोमर से रिलेशन अच्छे नहीं माने जाते। लोकसभा चुनाव में पोहरी विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र सिंह तोमर पराजित हुए थे और इस बात की कसक श्री तोमर के समर्थकों में है। यहीं एक नकारात्मक फैक्टर श्री भारती के खाते में है। इसके बाद भी उन्हें कोलारस शिफ्ट किए जाने की चर्चाओं के बीच टिकट मिलने की काफी अच्छी संभावनाएं हैं। बताया जाता है कि सर्वे रिपोर्ट भी उनके पक्ष में है। श्री तोमर लॉबी ने उनका टिकट काटना प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाया तो उनकी उम्मीदवारी पर कोई संकट नहीं है। करैरा विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव में उस समय के भाजपा विधायक रमेश खटीक का टिकट काटकर कोलारस के पूर्व विधायक रहे ओमप्रकाश खटीक को टिकट दिया गया था। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शकुंतला खटीक ने उन्हें 12 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था और बताया जा रहा है कि नई गाईडलाइन के अनुसार उन्हें टिकट की दौड़ से बाहर माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि करैरा से अभी तक पूर्व विधायक रमेश खटीक की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है। उन्हें भाजपा के सभी गुटों का समर्थन हांसिल है। कोलारस विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार भाजपा उम्मीदवार बन रहे देवेंद्र जैन ने अपने आप को दौड़ से बाहर कर लिया है और माना जा रहा है कि उनके स्थान पर उनके छोटे भाई जितेंद्र जैन गोटू चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। जितेंद्र जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं और अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में उन्होंने कोलारस विकास के लिए जिला पंचायत फण्ड से काफी पैसा दिलाया था। वह दमदारी से चुनाव लड़ते हैं और उन्हें उम्मीद है कि नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर यशोधरा राजे सिंधिया तक का समर्थन उन्हें मिलेगा। कोलारस से टिकट के अन्य दावेदारोंं में पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, आलोक विंदल और रामस्वरूप रावत रिझारी का नाम भी लिया जा रहा है। पिछोर से पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार प्रीतम लोधी साढ़े 6 हजार मतों से कांग्रेस उम्मीदवार केपी सिंह से पराजित हुए थे। श्री लोधी उमाभारती समर्थक हैं और उन्होंने पिछला चुनाव काफी दमदारी से लड़ा था। लेकिन पार्टी की गाईडलाइन से वह उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर हो सकते हैं। उनके स्थान पर पिछोर से राघवेंद्र शर्मा, धैर्यवर्धन शर्मा, भैया साहब लोधी या नरेंद्र बिरथरे में से किसी को पार्टी टिकट दे सकती है। 
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