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लो.नि.वि. के पूर्व ईएनसी अखिलेश अग्रवाल और चीफ इंजीनियर ब्रिज संजय खांडे जा सकते हैं जेल….

भोपाल। मध्यप्रदेश पीडब्ल्यूडी में रिटायर होने के बाद एमपीआरडीसी के ईएनसी बन कर बैठे अखिलेश अग्रवाल और पीडब्ल्यूडी की ब्रिज निर्माण इकाई में चीफ इंजीनियर  रहे संजय खांडे कभी भी जेल के सीखचों के पीछे पहुंच सकते हैं। पीडब्ल्यूडी को भ्रष्टाचार और धांधली का सबसे बड़ा अड्डा बनाने में सबसे अहम योगदान देने वाले दोनों अफसरों की जोड़ी ने ऐसा कमाल दिखाया है जिसने विभाग के महान भ्रष्ट रहे कलाकारों को भी चकरा दिया है। उनके इस कारनामें ने सरकार को  पूरे 2 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया।        

इस करामात को अंजाम देने के लिए दोनों की दुस्साहसी जोड़ी ने केन्द्र और राज्य सरकार के नियम तक बदल डाले। दोनों अधिकारियों ने सरकारी धन मे सेंध लगाकर चहेती ठेकेदार कंपनी को बेजा लाभ पहुंचा कर भारी वसूली से अपना घर भरा ।  इस चमत्कार की एक तथ्यात्मक शिकायत पर लोकायुक्त जांच शुरू हो गई है जो जल्दी ही उनकी जेल यात्रा करा सकती है।

       दरअसल पीडब्ल्यूडी ने ग्वालियर में बनाए गए 92 पुलों का डाटा कलेक्शन और वर्तमान स्थिति जानने के लिए 3 सितंबर 2021  को एक टेण्डर निकाला था। टेण्डर में प्रत्येक पुल के लिए तीन लाख रुपए के हिसाब से 2 करोड़ 76 लाख रुपए की दर निर्धारित करके  प्रस्ताव बुलाए गए।

इस काम के लिए तीन ठेकेदार कंपनियों ने टेण्डर भरा। इनमें फरीदाबाद की एंजिल्स इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड ने भोपाल की एसोसिएट कंपनी इनोविस कंसलटेंटस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस काम के लिए 3 करोड़ 25 लाख रुपए की दर भरी , तो मुम्बई की टी.पी.एफ. इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड ने इस काम के लिए 2 करोड़ 70 लाख रुपए मांगे। वहीं टेण्डर में भाग लेने वाली तीसरी ठेकेदार कंपनी भोपाल की एल.एन. मालवीय इन्फ्रा प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड ने 2 करोड़ 30 लाख रुपए में यह काम करने को तैयार हो गई।

      इससे क्यूसीबीएस प्रक्रिया से हुए टेण्डर में फाइनेंशियल बीड में सबसे कम रेट देने वाली एल.एन. मालवीय इन्फ्रा प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड ने बाजी मार ली। लेकिन चांदी के सिक्कों के लालच में ईएनसी और चीफ इंजीनियर की जुगल जोड़ी ने टेक्निकल बीड में सबसे ज्यादा 3 करोड़ 25 लाख रुपए का रेट भरने से  फाइनेंशियल बीड में तीसरे नंबर पर आई चहेती फरीदाबाद की कंपनी को पहले नंबर एक पर लाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय, योजना आयोग,और राज्य सरकार द्वारा टेत्डर के लिए निर्धारित किए गए नियम को ही बदल डाले।

उन्होंने 244 करोड़ रुपए की लागत वाले इन 92 पुलों के लिए 2 प्रतिशत टर्नओवर होने और आमंत्रित टेण्डर के 40 प्रतिशत मूल्य के इस तरह के प्रोजेक्ट के काम के अनुभव का नियम ही रद्द कर दिया। इसकी जगह दोनों ने इस टेण्डर के लिए 100 करोड़ रुपए का टर्नओवर होने और 30 – 30 करोड़  रुपए के दो प्रोजेक्ट के काम का अनुभव होने की नियम बिरुद्ध नई शर्त जोड़ दी।

        उनकी इस चालबाजी के कारण टेण्डर में सबसे ज्यादा रेट भरने वाली फरीदाबाद की एजिस इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड और  उसकी एसोसिएट कंपनी इनोविस कंसलटेंटस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने दो अन्य ठेकेदार कंपनियों को पछाड़ दिया।

       उन्होंने कंपनी से आठ ऐसे “की पर्सन” के बायोडाटा भी जमा करवा दिए जो अन्य प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे और जिनके अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी थे। फिर ईएनसी और चीफ इंजीनियर ब्रिज “की पर्सन” का फर्जीवाड़ा नजरांदाज करते हुए इन दो आधारों पर कंपनी को टेक्निकल बीड में 100 में से 100 नंबर देकर पहले नंबर पर ले आए और उसे 2 करोड़ 76 लाख रुपए का टेण्डर 3 करोड़ 25 लाख रुपए में  दे कर अंजाम तक पहुंचा दिया।

फरीदाबाद की ठेकेदार कंपनी पर इस बेची गई मेहरबानी के बाद भी दोनों अफसरों की कृपा बरसना बंद नहीं हुई और उन्होंने विभिन्न प्रावधानों का इस्तेमाल करके कंपनी को 4 करोड़ 22 लाख रुपए का भुगतान करवा दिया।

      टेण्डर में आए सबसे निचले रेट 2 करोड़ 30 लाख रुपए में हो जाने वाला काम करीब दोगुनी कीमत पर कराकर सरकारी खजाने से 2 करोड़ रुपए की लूट करने वाले ईएनसी अखिलेश अग्रवाल के रिटायर होने के बाद भी चीफ इंजीनियर ब्रिज संजय खांडे की मेहरबानियां इस कंपनी पर कम नहीं हुई। इसके चलते उन्होंने 6 अप्रैल 2023 को एक रिटायरमेंट की कगार पर बैठे अधिकारी से अनुभव प्रमाण पत्र जारी करवा दिया जिसमें एजिस इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड और उसकी एसोसिएट भोपाल की कंपनी इनोविस कंसलटेंटस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ज्वाइंट वेंचर  में यह काम करने की बात कही गई है।

          जबकि ज्वाइंट वेंचर में काम करने के लिए दो कंपनियों में 50-50 के अनुपात में अनुभव और टर्नओवर होना अनिवार्य है जो भोपाल की सहयोगी कंपनी इनोविस कंसलटेंटस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के पास आज भी नहीं है। इसके अलावा विभाग में टेण्डर पाने वाली कंपनी द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों में शामिल दोनों कंपनियों के MOU में भी उसे सहयोगी कंपनी बताया गया है।

इतना ही नहीं खांडे ने अनुभव प्रमाण पत्र में पुलों की संख्या बढ़ाकर 102 कर दी । उन्होंने फरीदाबाद की कंपनी द्वारा डाटा कलेक्शन और पुलों की वर्तमान स्थिति जानने का काम करने की जगह सुपरविजन और क्वालिटी कंट्रोल का काम  करने की बात प्रमाणित करके किए गए काम की प्रकृति बदलने के दुस्साहस से भी परहेज़ नहीं किया।

          इस गोलमाल का पूरा कच्चा चिट्ठा तमाम दस्तावेजों के साथ लोकायुक्त तक पहुंच गया है। इसमें तात्कालिक ईएनसी अखिलेश अग्रवाल, प्रभारी चीफ इंजीनियर ब्रिज संजय खांडे एंजिल्स इंडिया कंसल्टिंग इंजीनियर्स प्राईवेट लिमिटेड के एमडी संदीप गुलाटी, कंपनी सेक्रेटरी विवेक आनंद, डायरेक्टर आबू श्याम, इनोविस कंसलटेंटस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अंकित डागा , मयूरी डागा और मैनेजर तहसीन खान को मुख्य आरोपी बताया गया है।

        पीडब्ल्यूडी के दो वरिष्ठ अफसरों के प्रमाणिक कमाल से लोकायुक्त के जांचकर्ता भी चकरा गए हैं। उन्होंने तेजी से मामले को संज्ञान में लेकर भारी दवाब के बाबजूद अपनी छानबीन शुरू कर दी है जिसके पूरा होते ही अग्रवाल और खांडे सहित अन्य आरोपी हथकड़ी मे नज़र आ सकते हैं।

दोनों की जोड़ी का ऐसा ही एक अन्य अद्भूत मामला भी लोकायुक्त के पास पहुंचा है जिसका खुलासा अगले अंक में करने जा रहे हैँ.

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