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गुना जिले में चूहों के काटने से फैलने वाली बीमारी से दहशत

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गुना। स्वाइन फ्लू, चिकिनगुनिया, डेंगू और मलेरिया के
बाद जिले में एक नई बीमारी ने दहशत फैला दी है। चूहे के द्वारा फैलने वाली
स्क्रब टाइफस बीमारी की चपेट में तीन महिलाएं आ गई हैं। इन महिलाओं का
कोटा में इलाज चल रहा है। इनमें दो महिलाएं गुना की और एक राघौगढ़ की है।
इधर, कोटा से गुना सीएमएचओ को फोन कर गुना में स्क्रब टाइफस बीमारी फैलने
की सूचना मंगलवार की शाम को दी गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने जिले में
अलर्ट जारी कर दिया है।
कोटा से आई सूचना के मुताबिक स्क्रब टाइफस से
पीड़ित महिलाओं में एक भुल्लनपुरा तथा दूसरी गुना शहर की ही निवासी है।
वहीं तीसरी महिला राघौगढ़ के भुलाय की है। इनमें से दो महिलाओं द्वारा शहर
के प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने के बाद कोटा इलाज के लिए गईं, वहीं एक
महिला जिला अस्पताल में एक दिन इलाज कराने के बाद कोटा चली गई। हालांकि,
तीनों महिलाओं के स्क्रब टाइफस से पीड़ित होने की जानकारी कोटा से ही लगी
है।
राजस्थान में ज्यादा हैं मरीज
मध्यप्रदेश
के गुना जिले में स्क्रब टाइफस के मरीज पहली बार सामने आए हैं। हालांकि
पिछले वर्ष नंवबर माह में भोपाल, विदिशा, सागर, सीहोर, रायसेन और राजगढ़ में
इस तरह के मरीज सामने आए थे, जो भोपाल की एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज
करा रहे थे। स्क्रब टाइफस से पीड़ित असम, राजस्थान, जम्मूकश्मीर, तमिलनाडू
एवं केरला में अधिकतर सामने आते रहते हैं। मनुष्य से मनुष्य में यह बीमारी
नहीं फैलती, इस बीमारी की मृत्यु की दर 30 प्रतिशत है।


यह हैं खास लक्षण
स्क्रब
टाइफस बीमारी में संक्रमित लार्वा के काटने के स्थान पर दाना उठता है, जो
बाद में जख्म बनकर सूखने पर काले धब्बे के समान दिखने लगता है। साथ ही
बुखार, सिरदर्द, जोड़ एवं मांस पेशियों में दर्द, प्रकाश से असहनीयता, सूखी
खांसी, एक सप्ताह के बाद शरीर (पेट एवं हाथ पैरों) पर दाने, कुछ केस में
निमोनिया, मस्तिष्क ज्वर एवं हृदय संबंधी बीमारी होती है। बीमारी के लक्षण
दो से तीन सप्ताह तक ही पाए जाते हैं।
जानलेवा है स्क्रब टाइफस
स्क्रब
टाइफस एक तरह का तीव्र बुखार और संक्रामक बीमारी है। इस बीमारी में मरीज
को 104 से 105 डिग्री तक बुखार आता है। डेंगू की तरह प्लेटलेट्स कम हो जाती
हैं। कंपकपी और जोड़ों में तेज दर्द होता है। शरीर का टूटना, शरीर में ऐंठन
और अकड़न आना। बाजू हाथ और गर्दन में गिल्टियां हो जाती हैं। समय रहते इसकी
उचित रोकथाम और इलाज नहीं किया गया, तो यह जानलेवा हो सकता है। 28 सितंबर
2016 को हिमाचल में इससे पीड़ित 20 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।


कैसे फैलता है स्क्रब टाइफस
ओरिएंटा
सुसुगामुशी और पिस्सुओं के काटते ही उसके लार में मौजूद एक खतरनाक जीवाणु
रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के खून में फैल जाता है। इसकी वजह से मनुष्य
के लीवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं। यह
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्र्प से रोगी के इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक
क्षमता) पर अटैक करता है। यहां तक की विकट परिस्थितयो में मरीज मल्टी ऑर्गन
डिसऑर्डर (आंतरिक अंगों का काम बंद करना) के स्टेज में भी पहुंच जाता है।
ऐसे करें बचाव
– घर के आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।
– शरीर को स्वच्छ और हमेशा साफ कपड़े पहनें।
– घास व खरपतवार को घर के आसपास न उगने दें।
– कीटनाशक दवाओं का छिड़काव घर के आसपास करें।
– घर के बाहर निकलते समय अपने हाथ-पैरों को ढंककर रखें।
इनका कहना है
कोटा
से गुना के जिन मरीजों को स्क्रब टाइफस बीमारी से पीड़ित बताया है, उन
व्यक्तियों के घर सहित आसपास के क्षेत्र में फीवर सर्वे कराया है। हालांकि
कोटा के अस्पताल में रेपिड किट से स्क्रब टाइफस की पुष्टि की है, जबकि
सरकारी तंत्र में एलाईजा टेस्ट को मान्य किया जाता है। यह टेस्ट राष्ट्रीय
रोग नियंत्रण संस्थान दिल्ली में कराया जाता है। अब इस बीमारी के लक्षण
वाले मरीज मिलेंगे, तो एलाईजा टेस्ट दिल्ली में कराया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट
24 घंटे में मिलने का प्रावधान है।

 सत्येंद्र सिंह रघुवंशी, जिला एपिडिमियोलॉजिस्ट, गुना
स्क्रब
टाइफस बीमारी का पता चलते ही मलेरिया अधिकारी को घर-घर जाकर बुखार के
सर्वे के निर्देश दिए हैं। तीन महिलाओं की जानकारी कोटा से सीएमएचओ ने दी
थी, जिसके बाद हम सर्तक हो गए हैं। इस बीमारी को लेकर पूर्व में भी अलर्ट
जारी किया जा चुका है। अस्पताल में व्यवस्थाएं भी जुटाई गई हैं।
– 
डॉ. रामवीर सिंह रघुवंशी, सीएमएचओ गुना

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