योगेन्द्र जैन शिवपुरी-दिगम्बर जैन समाज के अतिशय क्षेत्र श्री सेसई जी में इन दिनों पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन मुनिश्री 108 अजितसागर जी महाराज, ऐलक दयासागर महाराज और ऐलक विवेकानंद सागर महाराज के सान्निध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य अभय भैया के निर्देशन में चल रहा है। कल दिनांक 26 नवंबर रविवार को भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव बड़ी धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया गया जिसमें शिवपुरी शहर में महती धर्म प्रभावना के साथ 3 हाथी, 3 ऐरावत, 21 घोड़ें, 21 बघ्घी, 5 बैंड, 5 दिव्यघोष के साथ बालक आदिकुमार का जन्म महोत्सव जुलूस निकाला गया। इस पूरे आयोजन के लिये शहर को जगह-जगह स्वागत द्वारों और बैनरों के माध्यम से दुल्हन की तरह सजाया गया। साथ ही शहर के विभिन्न सामाजिक संगठनों, प्रतिष्ठानों, व्यक्तियों ने पुष्प बर्षा और मिष्ठान वितरण कर जुलूस का स्वागत किया। यह जन्म कल्याणक का जुलुस पोलो ग्राउण्ड से प्रारंभ होकर कोर्ट रोड़ होता हुआ माधव चैक, गुरुद्वारा, राजेश्वरी रोड़ होता हुआ पुनः पोलोग्राउण्ड पहुँचा। इस ऐतिहासिक विशाल जुलूस का एक सिरा जहाँ पोलो ग्राउण्ड पर था वहीं दूसरा सिरा माधवचैक चैराहे पर था। जुलूस समाप्ति पश्चात सेसई पहँुचा जहाँ पाण्डुकशिला पर भगवान का 1008 कलशों द्वारा बालक आदिकुमार का अभिषेक सौधर्म इन्द्र संजय-ममता जैन जड़ीबूटी द्वारा किया गया। वहीं कुबेर बने नरेन्द्र मामा द्वारा पूरे रास्ते रत्नों की बृष्टि की। इस पूरे आयोजन में पंचकल्याणक समिति के अध्यक्ष जितेन्द्र जैन गोटू, संयुक्त अध्यक्ष राजकुमार जड़ीबूटी, चैधरी अजित जैन के साथ जुलूस के संयोजक राकेश जैन आमोल और उनकी टीम की महती भूमिका रही।
*आत्म स्वभाव में रहने बाले एक दिन परमात्मा बन जाते हैं- मुनि श्री अजितसागर*
पंचकल्याणक महोत्सव में जन्मकल्याणक दिवस के दौरान में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य प्रशममूर्ति श्री 108 अजितसागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों के दौरान कहा कि इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आज तीन भुवन के स्वामी का जन्म महोत्सव हम मना रहे हैं। जब भी भगवान का जन्म होता है, तो तीनों लोकों में हर्ष का वातावरण निर्मित हो जाता है। और सभी हर्ष से खुशियाँ मनाने लगते हैं। जब इस धरती पर कोई महापुरुष जन्म लेते हैं, तो सबके अंदर पूण्य संचय के भाव जागृत होने लगते हैं। सभी के परिणामों में अपने आप निर्मलता आ जाती है। आप भी यदि आज यहाँ आये हैं, तो इसका मतलब यही है कि कहीं ना कहीं आप के मन में भगवान के गुणों के प्रति अनुराग का भाव जाग्रत हुआ है, क्योंकि जिसकी जैसी भावना हुआ करती है, वैसी ही उसकी परिणति भी हो जाया करती है। उक्त मंगल प्रवचन उन्होनें कहा कि जन्म महोत्सव उन व्यक्तियों मनाया जाता है, जिन्होंने अपने अंदर की पापों की प्रवृत्ति को दूर कर अपने आत्मोत्थान की ओर अग्रसर हुये। करोड़ों खर्च कर के भी लोग अपना जन्म दिवस तो मना सकते हैं, परन्तु जन्म दिसव और जन्मोत्सव में बहुत अंतर होता है। जन्म दिवस में विषय-भोगों की प्रधानता होती है, लेकिन जन्म महोत्सव में आत्मोत्थान की प्रधानता हुआ करता है। अतः अपने मन के भावों को निर्मल बनाएं क्योंकि मन के भाव जितने निर्मल रहेंगे उतना आनंद जीवन में आएगा। अतः अपने जीवन को चंदन के समान बनाएं, जो किसी भी परिस्थिति में अपना स्वभाव नहीं छोड़ता। इस पंचकल्याणक के माध्यम से समझने का प्रयास करना चाहिये कि कैसे भगवान ने अपने जीवन में संघर्ष किया, लेकिन अपने आत्मा को स्वभाव को नहीं छोड़ा और वही आत्मा आज परमात्मा बनकर हम सबके पूज्य बन जाते हैं। हमें ऐसे पूज्य चरणों में बैठकर, उनकी भक्ति और गुणगान करके अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।
*आज निम्न कार्यक्रम होंगें।*
आज 27नवंबर को निम्नलिखित कार्यक्रम यहाँ आयोजित होंगें। प्रातः 6ः45 बजे अभिषेक-शांतिधारा, पूजन 8ः15 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन। प्रातः 9ः15 बजे से कोलारस में आदिकुमार की बारात का भव्य जुलूस दोपकर 12ः05 बजे तप कल्याणक महोत्सव। महाराजा नाभिराय का दरबार, विवाहोत्सव, राज्याभिषेक, नीलांजना नृत्य, वन प्रस्थान, दीक्षा संस्कार विधि, मुनिश्री के मंगल प्रवचन। रात्रि 6ः30 पर गुरुभक्ति, आरती एवं रात्रि 7ः00 बजे से कलाश्री अकेडमी डिम्पल शाह सूरत द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम। पंचकल्याण स्थल तक जाने के लिये प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से महावीर जिनालय के सामने से निःशुल्क बसें हर समय उपलब्ध रहेंगी।
*आत्म स्वभाव में रहने बाले एक दिन परमात्मा बन जाते हैं- मुनि श्री अजितसागर*
पंचकल्याणक महोत्सव में जन्मकल्याणक दिवस के दौरान में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के प्रिय शिष्य प्रशममूर्ति श्री 108 अजितसागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों के दौरान कहा कि इस पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आज तीन भुवन के स्वामी का जन्म महोत्सव हम मना रहे हैं। जब भी भगवान का जन्म होता है, तो तीनों लोकों में हर्ष का वातावरण निर्मित हो जाता है। और सभी हर्ष से खुशियाँ मनाने लगते हैं। जब इस धरती पर कोई महापुरुष जन्म लेते हैं, तो सबके अंदर पूण्य संचय के भाव जागृत होने लगते हैं। सभी के परिणामों में अपने आप निर्मलता आ जाती है। आप भी यदि आज यहाँ आये हैं, तो इसका मतलब यही है कि कहीं ना कहीं आप के मन में भगवान के गुणों के प्रति अनुराग का भाव जाग्रत हुआ है, क्योंकि जिसकी जैसी भावना हुआ करती है, वैसी ही उसकी परिणति भी हो जाया करती है। उक्त मंगल प्रवचन उन्होनें कहा कि जन्म महोत्सव उन व्यक्तियों मनाया जाता है, जिन्होंने अपने अंदर की पापों की प्रवृत्ति को दूर कर अपने आत्मोत्थान की ओर अग्रसर हुये। करोड़ों खर्च कर के भी लोग अपना जन्म दिवस तो मना सकते हैं, परन्तु जन्म दिसव और जन्मोत्सव में बहुत अंतर होता है। जन्म दिवस में विषय-भोगों की प्रधानता होती है, लेकिन जन्म महोत्सव में आत्मोत्थान की प्रधानता हुआ करता है। अतः अपने मन के भावों को निर्मल बनाएं क्योंकि मन के भाव जितने निर्मल रहेंगे उतना आनंद जीवन में आएगा। अतः अपने जीवन को चंदन के समान बनाएं, जो किसी भी परिस्थिति में अपना स्वभाव नहीं छोड़ता। इस पंचकल्याणक के माध्यम से समझने का प्रयास करना चाहिये कि कैसे भगवान ने अपने जीवन में संघर्ष किया, लेकिन अपने आत्मा को स्वभाव को नहीं छोड़ा और वही आत्मा आज परमात्मा बनकर हम सबके पूज्य बन जाते हैं। हमें ऐसे पूज्य चरणों में बैठकर, उनकी भक्ति और गुणगान करके अपने जीवन को धन्य बनाने का प्रयास करना चाहिए।
*आज निम्न कार्यक्रम होंगें।*
आज 27नवंबर को निम्नलिखित कार्यक्रम यहाँ आयोजित होंगें। प्रातः 6ः45 बजे अभिषेक-शांतिधारा, पूजन 8ः15 बजे मुनिश्री के मंगल प्रवचन। प्रातः 9ः15 बजे से कोलारस में आदिकुमार की बारात का भव्य जुलूस दोपकर 12ः05 बजे तप कल्याणक महोत्सव। महाराजा नाभिराय का दरबार, विवाहोत्सव, राज्याभिषेक, नीलांजना नृत्य, वन प्रस्थान, दीक्षा संस्कार विधि, मुनिश्री के मंगल प्रवचन। रात्रि 6ः30 पर गुरुभक्ति, आरती एवं रात्रि 7ः00 बजे से कलाश्री अकेडमी डिम्पल शाह सूरत द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम। पंचकल्याण स्थल तक जाने के लिये प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से महावीर जिनालय के सामने से निःशुल्क बसें हर समय उपलब्ध रहेंगी।
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