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शादी, नौकरी, 25 हजार नगद का लालच देकर करा रहे थे शासकीय शिक्षक धर्म परिवर्तन, 50 झांसे में आए, 3 टीचर-पटवारी सहित पांच गिरफ्तार / Shivpuri News

शिवपुरी के बदरवास थाना क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों का लालच और दबाव के जरिए सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में मंगलवार को चार शासकीय कर्मचारियों सहित कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मध्यप्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

एसडीओपी संजय मिश्रा ने बताया कि 22 दिसंबर को ग्राम घूघला के सरपंच हमीर सिंह भील ने बदरवास थाने में शिकायत दी थी। शिकायत में कहा गया था कि कुछ लोग गांव और आसपास के आदिवासी परिवारों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए लालच दे रहे हैं और दबाव बना रहे हैं। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें आरोप सही पाए गए।

जांच में सामने आया कि पादरी अम्जी भील, शिक्षक वीरेन्द्र कुमार तिर्की, शिक्षिका अनीता भगत, शिक्षिका राजपति बाई तिर्की और पटवारी सुगनचंद उर्फ सुगनशाह पैकरा मिलकर लंबे समय से यह गतिविधि चला रहे थे। आरोप है कि बहादुर भील और सोमला भील के घरों में बैठकें कर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जा रहा था।

25-25 हजार और शिक्षा, नौकरी का दिया लालच
पुलिस के अनुसार आरोपी आदिवासी परिवारों को बेहतर भविष्य, बच्चों की अच्छी शिक्षा, नौकरी, बेटियों की शादी और धर्म परिवर्तन करने पर 25-25 हजार रुपये देने का वादा करते थे। विवेचना में अब तक करीब 50 लोगों के धर्म परिवर्तन की पुष्टि हो चुकी है, जबकि यह संख्या और भी अधिक होने की आशंका जताई जा रही है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अमनसिंह राठौड़ ने तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव मुले और एसडीओपी संजय मिश्रा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी रोहित दुबे की टीम ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।

पुलिस ने आरोपियों के पास से धर्मांतरण से जुड़ी सामग्री भी जब्त की है। जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरगुजा और बलरामपुर जिलों से जुड़े हुए हैं। अब पुलिस इस पूरे नेटवर्क और धर्मांतरण के लिए होने वाली फंडिंग की गहन जांच कर रही है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले बदरवास क्षेत्र के गुढालडांग गांव में वन भूमि पर अवैध रूप से चर्च का निर्माण पाया गया था, जिसे वन विभाग और प्रशासन ने जेसीबी से हटवा दिया था। पुलिस का कहना है कि इस मामले से जुड़े अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है और जांच लगातार जारी है।

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