जगदलपुर। कांगेर घाटी के दुर्गम क्षेत्र में बसे
ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इस उद्देश्य से कांदानार और
छिंदगूर वन प्रबंधन समिति ने साढ़े चार लाख रूपए में एंबुलेंस खरीदकर कोलेंग
अस्पताल को दान किया था, परंतु आठ साल बाद भी स्वास्थ्य विभाग इसके लिए
चालक नियुक्त नहीं कर पाया है।
इन हालातों के चलते गंभीर व्यक्ति के
परिजन पहले कोलेंग में चालक खोजते हैं फिर डीजल के लिए डे़ढ़- दो हजार रूपए
देकर ही एम्बुलेंस का उपयोग कर पाते हैं।
जान बचाने किया दान
जिला
मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर कांगेर घाटी में कोलेंग, मुण्डागढ़,
छिंदगूर, कांदानार, चांदामेटा, काचिररास, सल्फीपदर, सरकीपाल, डोकिम आदि 15
बस्तियां हैं। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण लोग अकाल ही विभिन्न बीमारियों
से मरते रहे हैं, इसलिए वन प्रबंध समिति कांदानार और छिंदगूर के सदस्यों ने
समिति में जमा राशि से एंबुलेंस खरीद कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को
फैसला किया।
तत्कालीन वन परिक्षेत्राधिकारी शेख नसीरूद्दीन ने
प्रस्ताव बनाया और करीब साढ़े चार लाख रूपए में एक एम्बुलेंस खरीदा गया।
समारोह आयोजित कर 16 जुलाई 2009 को तत्कालीन सांसद बलिराम कश्यप व विधायक
बैदूराम कश्यप की उपस्थिति में कोलेंग अस्पताल को यह एम्बुलेंस हस्तांतरित
किया गया था।एम्बुलेंस सुविधा होने से गंभीर मरीज और गर्भवती महिलाएं दरभा
या जगदलपुर अस्पताल आने लगे थे।
नहीं मिला स्थायी चालक
समितियों
ने ही वैकल्पिक तौर पर बस्ती के युवक सोनसिंह को 3000 रूपए मासिक वेतन पर
चालक रखा गया था। इसके छोड़ने के बाद सिबोराम एम्बुलेंस चलाता रहा। वर्ष
2015 में उसने भी यह काम छोड़ दिया। इधर एम्बुलेंस मिलने के आठ साल बाद भी
स्वास्थ्य विभाग एक चालक नियुक्त नहीं कर पाया है।
इधर प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र कोलेंग के प्रभारी एनपीडी गुप्ता ने बताते हैं कि
एम्बुलेंस पहले वन प्रबंधन समिति के नाम था इसलिए विभाग चालक नहीं मिला। अब
नाम भी परिवर्तित कर लिया गया है बावजूद इसके विभाग चालक नहीं दे पाया है।
इसके लिए जिलाधीश बस्तर को पत्र देकर तथा व्यक्तिगत संपर्क कर चालक की
मांग की गई है।
तलाशते हैं चालक
यह एम्बुलेंस
कोलेंग अस्पताल परिसर में खड़ी रहती है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि जब
भी जरूरत पड़ती है पहले हम कोलेंग बस्ती में चालक तलाशते हैं। उसके बाद
अस्पताल में डेढ़- दो हजार रूपए जमा करते हैं, तब कहीं मरीज को दरभा या
जगदलपुर ला पाते हैं।
पद स्वीकृत नहीं
‘प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र कोलेंग के लिए चालक पद की स्वीकृति नहीं है, इसलिए जो
भी चालक एम्बुलेंस लेकर दरभा या जगदलपुर आता है, उसे जीवनदीप समिति से उस
दिन का मानदेय दे दिया जाता है।’ – -डॉ देवेन्द्र नाग, सीएचएमओ जगदलपुर
ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सके इस उद्देश्य से कांदानार और
छिंदगूर वन प्रबंधन समिति ने साढ़े चार लाख रूपए में एंबुलेंस खरीदकर कोलेंग
अस्पताल को दान किया था, परंतु आठ साल बाद भी स्वास्थ्य विभाग इसके लिए
चालक नियुक्त नहीं कर पाया है।
इन हालातों के चलते गंभीर व्यक्ति के
परिजन पहले कोलेंग में चालक खोजते हैं फिर डीजल के लिए डे़ढ़- दो हजार रूपए
देकर ही एम्बुलेंस का उपयोग कर पाते हैं।
जान बचाने किया दान
जिला
मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर कांगेर घाटी में कोलेंग, मुण्डागढ़,
छिंदगूर, कांदानार, चांदामेटा, काचिररास, सल्फीपदर, सरकीपाल, डोकिम आदि 15
बस्तियां हैं। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण लोग अकाल ही विभिन्न बीमारियों
से मरते रहे हैं, इसलिए वन प्रबंध समिति कांदानार और छिंदगूर के सदस्यों ने
समिति में जमा राशि से एंबुलेंस खरीद कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को
फैसला किया।
तत्कालीन वन परिक्षेत्राधिकारी शेख नसीरूद्दीन ने
प्रस्ताव बनाया और करीब साढ़े चार लाख रूपए में एक एम्बुलेंस खरीदा गया।
समारोह आयोजित कर 16 जुलाई 2009 को तत्कालीन सांसद बलिराम कश्यप व विधायक
बैदूराम कश्यप की उपस्थिति में कोलेंग अस्पताल को यह एम्बुलेंस हस्तांतरित
किया गया था।एम्बुलेंस सुविधा होने से गंभीर मरीज और गर्भवती महिलाएं दरभा
या जगदलपुर अस्पताल आने लगे थे।
नहीं मिला स्थायी चालक
समितियों
ने ही वैकल्पिक तौर पर बस्ती के युवक सोनसिंह को 3000 रूपए मासिक वेतन पर
चालक रखा गया था। इसके छोड़ने के बाद सिबोराम एम्बुलेंस चलाता रहा। वर्ष
2015 में उसने भी यह काम छोड़ दिया। इधर एम्बुलेंस मिलने के आठ साल बाद भी
स्वास्थ्य विभाग एक चालक नियुक्त नहीं कर पाया है।
इधर प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र कोलेंग के प्रभारी एनपीडी गुप्ता ने बताते हैं कि
एम्बुलेंस पहले वन प्रबंधन समिति के नाम था इसलिए विभाग चालक नहीं मिला। अब
नाम भी परिवर्तित कर लिया गया है बावजूद इसके विभाग चालक नहीं दे पाया है।
इसके लिए जिलाधीश बस्तर को पत्र देकर तथा व्यक्तिगत संपर्क कर चालक की
मांग की गई है।
तलाशते हैं चालक
यह एम्बुलेंस
कोलेंग अस्पताल परिसर में खड़ी रहती है। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि जब
भी जरूरत पड़ती है पहले हम कोलेंग बस्ती में चालक तलाशते हैं। उसके बाद
अस्पताल में डेढ़- दो हजार रूपए जमा करते हैं, तब कहीं मरीज को दरभा या
जगदलपुर ला पाते हैं।
पद स्वीकृत नहीं
‘प्राथमिक
स्वास्थ्य केन्द्र कोलेंग के लिए चालक पद की स्वीकृति नहीं है, इसलिए जो
भी चालक एम्बुलेंस लेकर दरभा या जगदलपुर आता है, उसे जीवनदीप समिति से उस
दिन का मानदेय दे दिया जाता है।’ – -डॉ देवेन्द्र नाग, सीएचएमओ जगदलपुर
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