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बदरवास। सांडर गांव के पास 500 बीघा वन भूमि में कुए खोदकर खेती की जा रही है। वहीं सैसई गांव पर वन विभाग की सैकड़ों बीघा भूमि में जंगल उजाड़कर खेती की जा रही है। अतिक्रमणकारी अब गढ़ और सींघन गांव के बीच लगे प्लांटेशन में पेड़ काटकर अब जोतने की तैयारी में हैं। गुडाल के पहाड़ के आसपास जंगल का लगातार सफाया किया जा रहा है। एक दो वर्ष बाद सिर्फ पहाड़ ही दिखाई देगा जंगल नहीं। यहां बना तालाब भी समुदाय विशेष के लोगों ने तोड़ दिया हैं। रेंजा गांव पर वन भूमि में वन पीएम आवास, बिना पट्टे के वनों को काटकर सैंकड़ो बीघा जमीन भी जोती जा रही है। वहीं चंदेरिया गांव की बात करें तो यहां पर भी सैकड़ों बीघा जमीन से जंगल साफ कर दिए गए हैं। सालोंन से लेकर मोहनपुरा, सीहोरा, छपरा कनेरा आदि गांवों के आसपास भी सैकड़ों बीघा भूमि के जंगल काटकर खेत बना दिए गए हैं।रामपुरी गदेरा घाटी पर नाम मात्र का जंगल रह गया है। वहीं मुंडेरी, धुआ, नैनागिर आदि गांवों में जंगल लगभग समाप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
अब जंगल बचे ही कहां है। लोगों ने जंगल साफ करके खेत बना दिए हैं। पहले ग्राम वन समिति अध्यक्षों को बुलाया जाता था लेकिन अब ग्राम वन समिति निष्क्रिय पड़ी हुई हैं जिससे लोग वनों को लगातार काटकर खेत बनाए जा रहे हैं।
-संग्राम सिंह गुर्जर,ग्राम वन समिति अध्यक्ष सालोंन।
वर्तमान में कितने जंगल पर अतिक्रमण है इसको पता किया जा रहा है। अभी जानकारी पूरी नही हो पाई हैं, लेकिन मेरे आने के बाद बदरवास रेंज में कोई नया अतिक्रमण नही हुआ हैं।
शैलेंद्र तोमर, वन परिक्षेत्र अधिकारी, बदरवास।
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