देश को नरेंद्र मोदी के रूप में प्रधानमंत्री देने के बाद पूर्वांचल 15 साल बाद यूपी का भी पावर सेंटर बनने जा रहा है। 8 मार्च 2002 को प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद से राजनाथ सिंह की विदाई के बाद पूर्वांचल में गोरखपुर को कर्मभूमि बनाए योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहे हैं। गोरखनाथ मंदिर के महंत योगी आदित्यनाथ इस समय पांचवीं बार गोरखपुर से संसद सदस्य है।
हिंदुत्ववादी संगठन ‘हिंदू युवा वाहिनी’ की संस्थापना करने वाले योगी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलने के पीछे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रेकॉर्ड सीट मिलने का भी अहम रोल रहा है। पूर्वांचल में गिने जाने वाले 25 जिलों में से 11 जिलों की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है। पूर्वांचल की 141 सीटों में से 111 सीट बीजेपी को मिली थी, वहीं एसपी को 14 व बीएसपी को 12 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। कुशीनगर की एक सीट छोड़ दें तो पूर्वांचल में कांग्रेस का लगभग सफाया हो चुका है।
करीब डेढ़ दशक बाद पूर्वांचल के हिस्से में सीएम की कुर्सी आ रही है। इसकी खुशी बनारस से लेकर बस्ती तक में महसूस की जा सकती है। प्रदेश को 11 मुख्यमंत्री देने वाले पूर्वांचल में विधानसभा चुनाव के दौरान इतनी बड़ी जीत की लहर किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में नहीं दिखी थी। पूर्वांचल से मिली रेकॉर्ड सीटों के बाद ऐसी अटकलें थीं कि इसी इलाके से कोई सीएम बनेगा। शनिवार शाम इन अटकलों पर तब विराम लग गया जब यूपी बीजेपी के विधायक दल की बैठक में औपचारिक तौर पर योगी आदित्यनाथ को नेता चुन लिया गया।
पूर्वांचल से यूपी सीएम
डॉक्टर सम्पूर्णानंद- 28 दिसंबर 1954 से 9 अप्रैल 1957, 10 अप्रैल 1957 से 6 दिसंबर 1960
सुचेता कृपलानी- 2 अक्टूबर 1963 से 13 मार्च 1967
त्रिभुवन नारायण सिंह- 18 अक्टूबर 1970 से 3 अप्रैल 1971
कमलापति त्रिपाठी- 4 अप्रैल 1971 से 12 जून 1973
रामनरेश यादव- 23 जून 1977 से 27 फरवरी 1979
विश्वनाथ प्रताप सिंह- 9 जून 1980 से 18 जुलाई 1972
वीरबहादुर सिंह- 24 सितंबर 1985 से 24 जून 1988
राजनाथ सिंह- 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002
योगी आदित्यनाथ- 19 मार्च 2017 से …
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