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13 को सैंपल लिए, उसमें भी ओटी के नहीं, सात दिन बाद भेजे, क्या संक्रमण और सबूत मिटाने को? ! Indore News

Samples taken on 13, not in the OT, sent seven days later, to clear the infection and evidence?
 इंदौर इंदौर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन बिगड़ने के मामले में स्वास्थ्य विभाग अफसरों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। 8 अगस्त को हुए ऑपरेशनों की जानकारी इंदौर के अफसरों को 13 अगस्त को लगी, उसी दिन वे जांच के लिए अस्पताल पहुंच गए। 38 सैंपल ले भी लिए, लेकिन इन्हें जांच के लिए भेजा सात दिन बाद यानी 19 अगस्त को। इसमें भी ओटी का सैंपल तो भेजा ही नहीं गया। यानी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने अस्पताल प्रबंधन को बचने का पूरा मौका दिया। 

विशेषज्ञ बताते हैं कि दो दिन में ओटी का फ्यूमीगेशन भी संभव है। देरी कर अफसरों ने ओटी में इस्तेमाल होने वाले औजार और उपकरण से संक्रमण के निशान मिटाने का भी अ‌वसर दिया, क्योंकि इतनी देरी के बाद किसी प्रकार के बैक्टीरिया का संक्रमण पता करना मुश्किल काम है। साफ बात है कि जांच व रिपोर्ट में लीपापोती होगी तो अस्पताल के लिए बचना आसान हो जाएगा। 
8 को ऑपरेशन, 11 को पहली सूचना, 13 को पहुंचे अस्पताल 
  •  अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन बिगड़ने की सूचना तीन दिन बाद 11 अगस्त को धार के सीएमएचओ डॉ. एसके सरल को दी। उन्होंने भोपाल में राज्य अंधत्व निवारण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हेमंत सिन्हा को बताया। 
  •  इसके बाद भी सुस्ती जारी रही और सूचना को इंदौर पहुंचने में दो दिन लग गए। 13 अगस्त को सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया और जिला अंधत्व नियंत्रण अधिकारी डॉ. टीएस होरा को इसकी जानकारी लगी। 
  •  उसी दिन डॉ. होरा अस्पताल पहुंचे और ताबड़तोड़ सैंपल लिए। यह बताया गया कि सैंपल मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे हैं, पर विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता मूथा ने डीन डॉ. ज्योति बिंदल को उसी दिन बता दिया था कि एक भी सैंपल नहीं आया है। 
     
कॉन्फ्रेंस में कैमरा खराब बता नहीं दिखाई आेटी : यह जानकारी भी सामने आई है कि घटना के बाद नेत्र रोग विशेषज्ञों की कॉन्फ्रेंस हुई थी, जिसमें अस्पताल की सर्जरी का लाइव डिमांस्ट्रेशन था। वहां ऐन वक्त पर बताया गया कि ओटी का कैमरा काम नहीं कर रहा है, इसलिए डॉ. सुधीर महाशब्दे ने निजी अस्पताल में लाइव सर्जरी की है। उस दिन भी किसी को शक नहीं हुआ कि गड़बड़ी हुई है। 
दो नए मरीज, ऑपरेशन बिगड़ने पर लौटा दी थी 20,500 रु. फीस : मंगलवार को दो और पीड़ित मरीज मिश्रीलाल चौधरी और बालमुकुंद सामने आए। मिश्रीलाल से ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों ने 20 हजार 500 रुपए फीस ली थी। जब दिखाई नहीं देने की शिकायत की तो उन्हें फीस लौटा दी। डॉ. राजीव रमण ने उनकी जांच की और फिर शाम को उन्हें चेन्नई भेजा गया। इधर, बालमुकुंद की आंखों में संक्रमण बढ़ने से मवाद भर गया है। अब तक कुल 15 मरीज सामने आ चुके हैं। 
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