पिछोर। पिछोर जनपद में शौचालयाें के नाम पर 1 करोड़ 44 हजार रुपए का घोटाला सामने आया है। मामले को लेकर अधिकारी से लेकर कर्मचारी एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। अगर शौचालय की शिकायत नहीं होती तो इतना बड़ा घोटाला कभी न खुलता। जनपद के अधिकारियों ने घोटाले का सारा ढीगरा ब्लॉक समन्वयक पर फोड़ दिया और एफआईआर करवा दी। मामले को लेकर ब्लॉक समन्वयक ने हाईकोर्ट की शरण ली है और कहा कि जब घोटाला सामने आया तो जनपद सीईओ, मनरेगा क्लर्क और जिला समन्वयक (डीसी) को ने उसे फसा दिया।
स्वच्छ भारत मिशन पिछोर के ब्लॉक समन्वयक रामनिवास राजपूत का कहना है कि जिला समन्वयक सत्यमूर्ति पांडेय ने भोपाल से आई ऑडिट के लिए 50 हजार रुपए मांगे थे। लेकिन वह 20 हजार रुपए ही दे पाया। इसके बाद षडयंत्र के तहत मुझे फंसा दिया। आईडी से इन सभी ने काम किया है। जब जनपद से मुझे 19 अप्रैल को नोटिस जारी हुआ तो मैंने पूछा कि ये क्या है। इन्होंने कहा कि ये तो केवल फॉर्मेलिटी है, तुम्हे जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है। जनपद सीईओ ने मनरेगा क्लर्क प्रमोद भारद्वाज द्वारा शौचालय के भुगतान के अलावा डिजिटल सिग्नेचर (डोंगल) एवं अन्य सभी प्रकार के पासवर्ड दे रखे हैं।
शिकायतें हुईं तो इन्होंने सारा ठीकरा मेरे ऊपर मढ़ दिया
जिपं सीईओ के नोटिस पर ब्लॉक समन्वयक राजपूत ने 7 मार्च को जवाब दिया कि अनियमितता और गलत कार्यों में सहयोग ना देने पर सीईओ पिछोर ने जबरदस्ती मुझे घर बैठने को कहा। मना करने पर सेवा समाप्ति का प्रपोजल वरिष्ठ कार्यालय भेजने की धमकी दी। डर जाने और कोरोना के चलते मैंने घर रुकने का मन बना लिया। इन्होंने पासवर्ड आईडी भी ले ली। इनके द्वारा शौचालय के कार्यों का भुगतान किया और जहां भी इन्होंने मुझसे हस्ताक्षर के लिए कहा, मैंने वहां हस्ताक्षर कर दिए। जब शिकायतें हुईं तो इन्होंने (सीईओ) सारा ठीकरा मेरे ऊपर मढ़ दिया।
इधर, पुष्पेंद्र व्यास, सीईओ, जनपद पंचायत पिछोर का कहना है कि कहने से कुछ नहीं होता, सबूत लाकर दें और जिला पंचायत में प्रस्तुत करें। शासन की जो गाइड लाइन है, उसके अनुसार जिसका जो काम है वही करेगा। आरोप गलत लगाए जा रहे हैं।
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