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बैराड़ में उद्योग विभाग की 405 बीघा जमीन पर लगने थे लघु और कुटीर उद्योग, भूमाफियाओं ने बेची जमीन, तन गए आशियाने / Shivpuri News

नासिर खान शिवपुरी। जिले के बैराड़ कस्बे में 10 साल पहले लघु और कुटीर उद्योग लगाने के लिए उद्योग विभाग के लिए सरकार द्वारा 405 बीघा जमीन आवंटित की थी। उद्योग विभाग 10 साल में जहां इस जमीन पर एक भी उद्योग शुरू नहीं कर सका वहीं उधोग विभाग की इस 405 बीघा जमीन को भूमाफियाओं ने अतिक्रमण कर गरीबों को बेच दिया। वर्तमान में उद्योग विभाग की इस जमीन पर करीब एक से डेढ़ हजार गरीबों के कच्चे और पक्के आशियाने बने हुए हैं। अब 10 साल बाद नींद से जागे उद्योग विभाग ने प्रशासन से इस जमीन के सीमांकन की मांग की जिस पर तहसीलदार बैराड़ ने एक टीम का गठन कर 20 जून को इस जमीन के सीमांकन का आदेश निकाला है। उद्योग विभाग की जमीन पर पिछले 10 साल से घर बना कर रह रहे लोगों में तहसीलदार के इस आदेश से हड़कंप मचा हुआ। सर पर खड़ी बारिश के इस मौसम में लोगों को सिर पर से छत छिन जाने का डर सताने लगा है।
उद्योग विभाग के लिए आवंटित हुई थी 405 बीघा जमीन:
दरअसल शिवपुरी जिले के बैराड़ कस्बे में उद्योग की संभावनाएं विकसित करने के लिए प्रशासन ने राज्य सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा था, जिसके बाद सरकार ने वर्ष 2013 में प्रशासन का प्रस्ताव स्वीकृत कर बैराड़ में नवीन कृषि उपज मंडी के पास पोहरी-मोहना रोड पर 405 बीघा जमीन उधोग लगाने के लिए आरक्षित की थी। इसके बाद राजस्व विभाग ने जमीन का सीमांकन करवा कर जमीन उद्योग विभाग को आवंटित कर दी थी, लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो सरकार और न ही उद्योग विभाग बैराड़ में एक भी उद्योग लगा पाया। जबकि विभाग के लिए आरक्षित की गई 405 बीघा जमीन को दबंगों ने कब्जा कर बेच दिया है। इस जमीन को वर्ष 2013 में उद्योग विभाग को आवंटित किया गया था, जिस पर लघु और कुटीर उद्योग लगाने की योजना थी। उद्योग लगने की बजाय गरीब लोगों ने दबंगों से जमीन खरीदकर एक से डेढ़ हजार से अधिक कच्चे-पक्के मकान बन गए हैं। पिछले 10 सालों में प्रशासन द्वारा इस जमीन की कोई  सुध नहीं ली।यही वजह है कि यहां पिछले 10 साल से दिनों-दिन मकानों की तादात बढ़ती गई जबकि,यहां रह रहे गरीबों का कहना है, हमने गांव की जमीन बेचकर यहां घर बनाने के लिए प्लाट खरीदा है, अब हम नहीं छोड़ेंगे।
लगने थे लघु और कुटीर उद्योग बन गए मकान:
पोहरी विधानसभा क्षेत्र में उद्योग की संभावनाएं विकसित करने के लिए प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रस्ताव को 10 साल पहले प्रदेश शासन को भेजा गया था। प्रस्ताव से पहले प्रशासन ने कालामढ़ पंचायत में पोहरी-मोहना रोड पर स्थित 405 बीघा 11 विस्वा जमीन आरक्षित की थी। राजस्व विभाग की इस जमीन को अतिक्रमण से बचाने के लिए यहां उद्योग लगाने की अनुशंसा की गई थी। इसके बाद इस जमीन को उद्योग विभाग को आवंटित कर दिया था। लेकिन यहां पिछले 10 साल में एक भी उद्योग नहीं लगा, जबकि इस दौरान उद्योग विभाग की जमीन पर मकानों की संख्या डेढ़ हजार के पार पहुंच गई है।जमीन पर उद्योग लगने से पहले ही बैराड़ क्षेत्र के दबंगों ने पंचायत की जमीन पर कब्जा कर बेच दिया। पोहरी-मोहना रोड पर सर्वे नं. 898/3/3 की 405 बीघा जमीन पर जिन लोगों ने अपने आशियाने बनाए हैं वे ज्यादातर अनपढ़ और मजदूर हैं। इनमें से ज्यादातर अपर ककेटो डैम के विस्थापित लोग हैं, जो कि मजदूरी की आस में यहां मकान बनाकर रहने लगे हैं। इसके अलावा बैराड़ में मूंगफली का काम अच्छा होने की वजह से आसपास के गांव के लोग भी अच्छी मजदूरी मिलने की आस में इस सरकारी जमीन पर अपना आशियाना तानकर निवास कर रहे हैं। इनकी तादाद अब डेढ़ हजार तक पहुंच चुकी है।

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