गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में सार्वजनिक रूप से बीफ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अब किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या सामुदायिक उत्सव में बीफ परोसा नहीं जाएगा। यह फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया।
सीएम सरमा ने कहा कि कांग्रेस नेता भूपेन बोरा और रकीबुल हुसैन के बयानों पर चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, “हमने जो किया, वह वही है जो कांग्रेस मांग रही थी। उम्मीद है कि वे इस फैसले का समर्थन करेंगे।”
असम मवेशी संरक्षण अधिनियम, 2021 में संशोधन करते हुए नए प्रावधान जोड़े जाएंगे। पहले से ही यह कानून मंदिरों और वैष्णव मठों के 5 किलोमीटर के दायरे में बीफ पर प्रतिबंध लगाता है।
इस निर्णय को लेकर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने विरोध जताते हुए इसे “राजनीतिक चाल” करार दिया है। AIUDF महासचिव अमीनुल इस्लाम ने कहा, “यह फैसला पञ्चायत और 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को मात देने के लिए लिया गया है।”
सियासी तकरार का कारण बनी बीफ पॉलिटिक्स
पिछले महीने समागुरी उपचुनाव में कांग्रेस नेता तंजील हुसैन की हार के बाद कांग्रेस के रकीबुल हुसैन ने बीफ को लेकर बीजेपी पर “हिंदुत्व से विश्वासघात” का आरोप लगाया था। इसके जवाब में सीएम सरमा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि यदि कांग्रेस कहे तो वे राज्य में बीफ पर प्रतिबंध लगाने को तैयार हैं।
इस फैसले के बाद असम की सियासत में गर्मी बढ़ गई है। जहां एक ओर भाजपा इसे “धार्मिक भावनाओं का सम्मान” बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे “राजनीतिक खेल” बता रही है।
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